अपने अन्दर छुपी ऊर्जा को कैसे पहचाने



      


आज की युवा पीढ़ी में एक सोच बन गई है की किसी तरह से एक नौकरी लग जाय फिर देखना हमारी लाइफ एकदम सान से कटेगी . अपने करियर को लेकर एकदम डरा हुआ है की इस बार लास्ट अटेम्प है कही फेल होगया तो घर वाले क्या सोचेगे , लोग क्या सोचेगे “ सबसे बड़ा है रोग क्या कहेगे लोग   फिर ओ पूरी जिंदगी सोचने में ही गुजार देता है . वह लोगो से कहेगा की यार एक नंबर से रह गया . दोस्तों आप कुछ येसा करो की लोगो से बहाने न बनाना पड़े , लोग आपसे मिलकर गर्व महसूस करे , आप सिर्फ परीक्षा पास करने के लिए ना पढ़े बल्कि खुसी के लिए आनंद के लिए आपके अन्दर जो  ऊर्जा  है उसको एक्सप्रेस करने के लिए . आप पढाई को एक बोझ समझकर  न पढ़े , हर छड अपने लक्ष्य के प्रति अडिग रहे . जैसे द्रोण शिष्य अर्जुन करता था वह जब भी अपने धनुष विद्या को शिखता था तो अपने अन्दर की पूरी ऊर्जा  को उसमे लगा देता था इसीलिए वह संसार का सर्वसेष्ट धनुर्धर कहलाया . अर्जुन के साथ बहुत सारे  शिष्य द्रोण से धनुष विद्या शिखते थे वोलोग उसके जैसा क्यों नहीं बन पाए  यही फर्क होता है मुझमे और अन्य लोगो में , आप एक बार जग गए तो आपको कोई नहीं रोक सकता सफल होने में .
मै आपलोगों को एक कहानी के माध्यम से बताने की कोसिस करता हु  कि अपने अन्दर छुपी ऊर्जा को कैसे पहचाने -
एक लड़का था वह अपने पिता के पास गया और बोला पापा मै थक गया हु परेशान हो गया हु एक समस्या से निकला हु तो दूसरी समस्या दूसरी से निकलता हु तो तीसरी आजाती  है मै क्या करू कुछ समझ में नहीं आ रहा है . उसके पिता कूक(खाना बनाने वाला ) थे, पिता ने बेटे को किचन में लेकर गए तीन बर्तन में पानी लिया एक में डाला आलू दुसरे में अंडा और तीसरे में डाला काफी विन्स तीनो को समान तापमान पर गर्म किया कुछ समय बाद पिता बोले कि इन तीनो को देखो लडके ने पहले आलू को टच किया जो पहले कड़क था अब एकदम मुलायम हो गया था उसके बाद अंडे को टच किया जो पहले इतना कमजोर था अब उबलने पर एकदम कड़क होगया था अब पिता बोले की काफी को पीकर देखो लड़के ने पिया तो देखा की उसमे एक अलग स्वाद , सुगन्धित लग रही थी . लड़के ने पूछा पापा इन सब का क्या मतलब है . तब पिता ने कहा की समस्या सबके सामने समान ही था आलू , अंडा और काफी विन तीनो के पास उबलता हुआ पानी था लेकिन तीनो ने अलग अलग रियेक्ट किया . एक जो पहले कड़क था आलू गरम पानी में एकदम कमजोर हो गया , दूसरा अंडा जो पहले एकदम कमजोर था गरम पानी में डालने पर कड़क (मजबूत ) हो गया और तीसरा काफी बिन उसने उबले पानी को ही बदल के रख दिया  एक नया  रूप दे दिया. हमारे साथ भी कुछ येसा ही हो रहा है .
हम सभी में से कुछ लोग दिनरात मेहनत  करते है बोलते है इसबार ऑफिसर बनकर ही रहेगे अंतिम समय आता है परीक्षा में बैठते है फिर सोचते है ये मुझसे नहीं होगा फिर असफल हो जाते  है और कुछ स्टूडेंट दिलोजान से मेहनत करते है अंतिम समय तक लड़ते है और परीक्षा पास करके ऑफिसर बन जाते है .किसी महापुरुष ने कहा है की –

“ संकट से मुझे बचाओ  यह प्राथना मै नहीं करता , प्राथना है संकटों का भय न हो .”

दोस्तों जिन्दगी एक के बाद एक मोका देती रहेगी लेकिन आप बनते क्या हो आप कमजोर आलू बनते हो या अंडा या फिर काफी विन जो पुरे समस्या को ही एक न्य रूप दे देता है और उस चीज को शुद्ध और सुगन्धित बना ले . यह है अपने अन्दर की खोज , अपनेआप को जगाना है अपने अन्दर emotion लाना होगा emotion यानि energy + motion हमारे अन्दर ऊर्जा (energy) बहुत सारा है लेकिन उसमे गति (motion) नहीं है , हम सब को अपने अन्दर की ऊर्जा को एक सही दिशा (direction) देना होगा जिस दिन  से ये सब आगया आप जो चाहोगे बन सकते हो.
“ पुरे ब्रम्हांड में आपकी जिंदगी बदलने वाला सिर्फ एक ही अकेला इंसान है और वह आप हो “

परिस्थितिया वही है , सम्भावनाये भी वही है बस फर्क है हमारी सोच का , हमारा सोच हमारा नजरिया पल भर में बहुत कुछ बदलने की छमता रखता है . अपने अन्दर छुपी असीम ऊर्जा को पहचाने . सब आपका होगा . ये जिंदगी आपको उससे भी ज्यादा  देगी जितना आपको इससे उम्मीद की होगी .     
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