नया साल 2024 जाने समय का महत्व

2024 के नए साल में समय का महत्व : प्रिय विद्यार्थियों ! सबसे पहले आप सबको नूतन वर्ष 2024 की ढेरों बधाइयाँ एवं शुभकामनाएँ
दोस्तो ये समय ही है जो हमे पुराने साल से नए साल में ले आता है और हम नए साल (New Year) की सुरुआत में Happy New Year के रूप में मनाते है, यानी समय सब कुछ है समय को जिंदगी के समान माना गया है कहा जाता है अगर आप समय को बर्बाद कर रहे है तो आप जिंदगी को बर्बाद कर रहे है। ये सब आप पर निर्भर करता है कि आप समय को किस तरह उपयोग करते है चाहे आप फेसबुक, व्हाट्सएप्प चला कर समय को काट लीजिये चाहे आप Study में अपना समय बिताकर अपनी आने वाली जिंदगी को अच्छा बना सकते है । अगर आप सब इस चीज को पहचान गए तो आप हर नए पल को Celebrate कर सकते हो।
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 साथियों! आप सबको याद तो होगा ही कि आज ही के दिन एक साल पहले हम अपने दोस्तों, रिश्तेदारों, सगे सम्बन्धियों को  2023 की बधाइयाँ दे रहे थे और नए वर्ष का कितने हर्षोल्लास के साथ स्वागत कर रहे थे। वो दिन था और आज का दिन है.. देखते ही देखते कितनी तेजी से एक साल गुज़र गया । यह कोई नई बात तो नहीं है न! साल तो ऐसे ही बीतते आए हैं और ऐसे ही बीतते रहेंगे। यह नया वर्ष 2024 भी तो ऐसे ही देखते देखते बीत जाएगा और एक बार फिर से हम एक और नए वर्ष की दहलीज पर खड़े होंगे।
मेरे प्यारे दोस्तों! समय की तो यही नियति है..गुज़र जाना। चाहे हम लाख कोशिश क्यों न कर लें  लेकिन समय मुट्ठी में दबे हुए रेत की तरह फिसल ही जाता है।दोस्तों समय पर तो हमारा कोई नियंत्रण नहीं लेकिन उसके इस्तेमाल पर तो पूरा नियंत्रण है। यह हमें ही तय करना होगा कि बीतते हुए वक़्त का सदूपयोग  हम किस तरह प्रभावशाली ढंग से करें।विद्यार्थी जीवनकाल  को व्यक्ति के सम्पूर्ण जीवन का सुनहरा काल माना जाता है क्यों कि यही वह समय है जब कि हम अपने भविष्य का आधार निर्मित कर रहे होते हैं।इस  दौरान समय का सन्तुलित और प्रभावी सदूपयोग और सही दिशा में किया गया परिश्रम हमारे भविष्य के उस कल्पवृक्ष को अंकुरित करता है जिससे निकट भविष्य में हमारी सारी इच्छाओं की पूर्ति होती है।मेरे प्यारे साथियों! गुज़रा हुआ वक्त या तो हमें संतोष देता है या पछतावा। जब हमारी मेहनत हमें सफलता के मार्ग पर अग्रसर करती है तो हमें संतोष मिलता है लेकिन इसके विपरीत समय का दुरूपयोग, टालमटोल और लापरवाही हमें पछतावे  के सिवा कुछ नहीं देती।हाल ही में दिवंगत हुए कवि गोपाल दास नीरज की एक बहुत सुन्दर कविता है " कारवाँ गुज़र गया गुबार देखते रहे।"  कवि ने बहुत ही व्यवहारिक बात की है कि गुज़रता हुआ समय अपना प्रभाव छोड़ ही जाता है..यह प्रभाव सुखदायी होगा या पीड़ादायी यह तो हम पर , हमारी मेहनत पर, हमारे प्रयासों पर निर्भर करता है।अब ज़्यादा लम्बा लेख न लिखते हुए  आप सब से इतना ही कहना चाहूँगा कि अब तक जो गुज़रा सो गुज़रा , अब भी बहुत कुछ पाने को है , बहुत सारी सफलताएँ, बहुत सारे  सुनहरे अवसर हमारी राह देख रहे हैं।आइये इस नए वर्ष में एक नया संकल्प लें कि अपनी वर्तमान स्थिति से बहुत ऊँचा न सही एक क़दम ऊँचाई पर तो जा ही सकते हैं।मैं उम्मीद करता हूँ कि यह साल बीतने के साथ आप सब प्रगति और उन्नति के नए पायदानों पर अग्रसर होंगे।मेरी ओर से आप सबको अनन्त शुभकामनाएँ..एक बार फिर से आप सब को नए वर्ष की बहुत बधाइयाँ एवं ढेर सारा प्यार...

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