मुगल सम्राट अकबर शासन काल के इतिहास की पूरी जानकारी
Samrat Akabar History in Hindi - भारत
के इतिहास में जब भी मुग़ल सल्तनत की बात की जाती है तो Akabar का खयाल जरुर आता है
क्यों ना हो आखिर अकबर महान जो कहा जाता है इसकी महानता का कारण था की वह सभी धर्मो को
मानने वाला, सभी को एकसमान अधिकार देना इसी कार्य ने मुग़ल सल्तनत के इतिहास का
महान राजा कहा जाता है| अकबर के बारे पूरी history आज हम इस पोस्ट में जानेगे।
हम यहाँ पर मुग़ल सम्राट अकबर के बारे में पूरी जानकारी (Mughal Emperor Akbar in Hindi) बताने जा रहा हूँ, इस पोस्ट को पूरा पढ़े।
हम यहाँ पर मुग़ल सम्राट अकबर के बारे में पूरी जानकारी (Mughal Emperor Akbar in Hindi) बताने जा रहा हूँ, इस पोस्ट को पूरा पढ़े।
अकबर के बारे में तथा उसके शासन काल के इतिहास की पूरी जानकारी
अकबर का जन्म कब हुआ था
अकबर
का जन्म हुमायूँ के समय 15 October 1542 को हमीदा बानू के गर्भ से अमरकोट के राणा विरसाल के महल में हुआ
था, अकबर की माँ हमीदा बानू बेगम थी जिन्होंने अकबर का नाम बदरुद्दीन रखा था लेकिन
खतना होने के बाद बदरुद्दीन का नाम जलालुद्दीन मुहम्मद अकबर रखा गया।
अकबर का राज्याभिषेक
48 वर्ष की अवस्था में हुमायूँ की अचानक पुस्तकालय की सीढियों से गिरने के कारण मृत्यु हो गयी उस समय
उसका पुत्र अकबर बहुत छोटा था तब सेनापती बैरम खान ने इस मृत्यु को कुछ दिन तक
छुपाये रखा और अकबर को उत्तराधिकारी बनने के लिए तैयार किया, 13 वर्ष की उम्र में
अकबर का राज्याभिषेक कलनौर (पंजाब) में 14 फरवरी 1556 हुआ।
अकबर
की पत्नियां
किताबो में अकबर की मुख्यतः
तीन पत्नियों का नाम आता है जिनका नाम - रुक़ाइय्याबेगम बेगम सहिबा, सलीमा सुल्तान
बेगम, मारियाम उज़-ज़मानि (जोधाबाई) लेकिन
सभी पत्नियों में मारियन उज़-ज़मानि (जोधाबाई) को ज्यादा प्रेम करता था उन दोनों
की येसी प्रेम गाथा का वर्णन पढने को मिलता है जोधाबाई राजा भारमल (राजस्थान के राजा)
की बड़ी पुत्री थी राजनैतिक कारणों से जोधा और अकबर की विवाह हुआ था फिर भी यह सम्बन्ध
Love Story of Jodha and Akabar के नाम से प्रचलित है। इसपर कई हिंदी फिल्म भी बन चुकी है।
अकबर से जुड़ी रोचक जानकारी और तथ्य (Interesting information and facts related to Akbar in hindi)
- हुमायूँ की मृत्यु के समय अकबर लाहौर का सूबेदार था।
- akabar के बेटे का नाम जहाँगीर था जिसके बचपन का नाम सलिन था।
- अकबर के राज्याविषेक के कुछ माह बाद ही बिहार के मुहम्मद आदिल शाह के महत्वाकांक्षी वजीर हेमू या मेह्चंद्र ने आगरा से दिल्ली के प्रदेश तक अधिकार कर लिया।
- मध्यकालीन भारतीय इतिहास में हेमू पहला और इकलौता हिन्दू राजा था जिसने दिल्ली के राजसिंघसन पर अधिकार किया था।
- दिल्ली तथा आगरा पर पुनः अधिकार हेतु अकबर और हेमू की सेनाओं के बीच पानीपत का दूसरा युद्ध (5 नवम्बर 1556) लड़ा गया।
- अकबर और बैरम खान (अकबर के वकील एवं सरक्षक) के बीच तिलवाडा का युद्ध लड़ा गया जिसमे बैरम खान पराजित हुआ।
- बैरम खान की मृत्यु के बाद उसकी विधवा पत्नी सलीमा बेगम से अकबर ने विवाह कर लिया था।
- 1564 ईस्वी में अकबर ने जजिया कर को समाप्त कर दिया।
- अकबर के पुत्र, सलीम के विद्रोह के कारण अकबर के अन्तिम दिन दुःख भरे व्यतीत हुए।
- 1605 में अकबर की मृत्यु हो गयी।
- अकबर के मकबरे का निर्माण जहाँगीर द्वारा आगरा के निकट सिकन्दरा नामक स्थान पर कराया गया।
- अकबर, मुग़ल काल का एक येसा राजा था जो ज्यादा पढ़ा लिखा नहीं था यानी निरक्षर था।
अकबर का साम्राज्य विस्तार
1. रणथम्भौर
- 1560
2. मालवा विजय (1560-1562 ई0): बैरम
खां के पतनोपरांत मालवा में अधम खां के सेनापतित्व में एक सेना भेजी गई। मालवा का
शासक बाजबहादुर था। अधम खां ने बाजबहादुर को पराजित कर मालवा पर अधिकार कर लिया।
3. आमेर (जयपुर) राज्य से संधि (1562 ई0): आमेर के शासक भारमल ने अकबर की
अधीनता स्वीकार कर ली। भारमल प्रथम राजपूत शासक था जिसने अकबर की अधीनता स्वीकार
की थी।
4. मेवाड़ अभियान (1567 ई0): अकबर ने 1567 ई0
में चित्तौड़ के सिसोदिया वंशीय शासक महाराणा उदय सिंह के विस्द्ध अभियान अकबर के
चरित्र पर दाग है क्योंकि पहली और अंतिम बार चित्तौड़ के किले में ही अकबर ने
कत्लेआम करवाया था। अकबर ने चित्तौड़ विजय के पश्चात फतहनामा जारी किया।
5. कालिंजर - 1570
6. गुजरात विजय (1572-1573 ई0): इस समय गुजरात का शासक मुजफ्फर शाह
तृतीय था। 1527 ई0
में अकबर ने गुजरात के विरूद्ध अभियान किया और यह अभियान सफल भी रहा। टोडरमल को
गुजरात की लगान व्यवस्था का उत्तरदायित्व सौंपा गया। गुजरात विजय की स्मृति मं ही
बुलंद दरवाजे का निर्माण किया गया था।
7. बिहार एवं बंगाल विजय -1574 -1576 : यहाँ
के शासक सुलेमान कर्बानी ने अकबर की अधीनता
से शासन करता था लेकिन सुलेमान का पुत्र दाऊद ने स्वतंत्रता की घोषणा कर दी जिसके करना
अकबर को युद्ध के द्वारा जितना पड़ा।
8. द्वितीय मेवाड़ अभियान हल्दीघाटी का युद्ध (18 जून 1576 ई0): 1576 ई0 में अकबर ने मेवाड़ के विरूद्ध अभियान
किया, उस समय यहाँ के शासक राणाप्रताप सिंह था। इस अभियानद दल का प्रमुख मान सिंह
था। इस युद्ध में राणाप्रताप पराजित हो गया।
9. कश्मीर अभियान -1586
10. सिन्ध विजय - 1590
11. ओडीसा विजय - 1592 : यहाँ के शासक
निसार खान था जिसने अकबर की सेना के आगे आत्मसमर्पण कर दिया।
12. बलूचिस्तान विजय: 1595: यहाँ के अफगानों
को हरा कर मुग़ल सेना ने अधिकार किया था।
13. कन्धार विजय: 1595 ई0 में कंधार के ईरानी गवर्नर मुजफ्फर
हुसैन मिर्जा का संबंध ईरान से खराब हो गया अतः उसने स्वेच्छा से मुगल सरदार
शाहबेग को कन्धार सौंप दिया। इस प्रकार बिना युद्ध किये कन्धार पर अकबर का
नियंत्रण हो गया।
अकबर की दक्षिण नीति (दक्षिण भारत की विजय)
1591 ई0 में अकबर ने दक्षिण के राज्यों के पास दूत भेजा और
उन राज्यों से अकबर की संप्रभुता स्वीकार करने की पेशकश की।
1. खानदेश 1591 ई0 : स्वेच्छा से अधीनता स्वीकार की।
2. दौलताबाद 1599 ई0 :
3. अहमदनगर 1600 ई0 :
4. असीरगढ़ 1601 ई0
अकबर की धार्मिक नीति
सार्वभौमिक
सहिष्णुता’ की नीति अर्थात् सभी के साथ
शान्तिपूर्ण व्यवहार का सिद्धांत भी कहा जाता था। अकबर ने इस्लामी सिद्धांत के
स्थान पर सुलहकुल की नीति अपनाई।
अकबर ने दार्शनिक एवं धर्मशास्त्रीय
विषयों पर वाद-विवाद के लिए अपनी राजधानी फतेहपुर सीकरी में एक ‘इबादतखाना’ (प्रार्थना-भवन) की स्थापना 1575 ई0
में करवाया। अकबर ने सभी धर्मो में सामंजस्य स्थापित करने के लिए 1582 ई0
में ‘दीन-ए-इलाही’ नामक एक नया धर्म प्रवर्तित किया। इस
नवीन सम्प्रदाय (दीन-ए-इलाही) का प्रधान पुरोहित अबुल-फजल था। हिन्दुओं में केवल
महेशदास (उर्फ बीरबल) ने ही इसे स्वीकार किया था।
अकबर ने झरोखा दर्शन, तुलादान तथा पायबोस जैसी पारसी
परम्पराओं को आरम्भ किया। अकबर ने सिख गुरू रामदास की 1577 ई0
में 500 बीघा जमीन प्रदान की है। जिसमें एक
प्रकृतिक तालाब भी था। यहीं पर कालान्तर में अमृतसर नगर बसा और स्वर्ण मन्दिर का
निर्माण कराया गया।
अकबर के नवरत्न (Akbar's nine James)
अकबर
एक येसा राजा था जो निरक्षर था लेकिन कलाकारों और विद्वानों से बहुत प्रेम था इसी
कारण अकबर के दरबार में 9 महान विद्वान् थे जिसे नौ रत्न कहा जाता था उसे नाम थे -
अबुल फजल, फैजी, बीरबल, टोडरमल, मान सिंह, अब्दुल रहीम खान-ऐ-खाना, फकीर अजिओं-दिन,
मुल्लाह दो पिअज़ा
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